कोई भी बीमारी हो जाए तो लोग सबसे पहले कहते हैं कि कॉम्बिफ्लेम खा लो। ये दवा हर तरह के दर्द के लिए आमतौर पर ली जाने वाली सबसे लोकप्रिय दर्द निवारक है। लेकिन इस दवा को लेने की आदत से मजबूर हो चुके लोगों के लिए एक खतरे की खबर है।
डिसइंटिग्रेशन टेस्ट में ये देखा जाता है कि मेडिसिन बॉडी के अंदर कितनी देर में ब्रेकडाउन होती है। यहीं पर कॉम्बिफ्लेम फेल हो गया है। कॉम्बिफ्लेम की ब्रेकडाउन टाईम ज्यादा निकली। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की माने तो इसके इस्तेमाल से मरीज को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। खास तौर पर इससे पेट के अंदर ब्लीडिंग हो सकती है। लूज मोशन्स और गैस्टो-इन्टेस्टाइनल की परेशानी से भी मरीज को दो-चार होना पड़ सकता है।
कंपनी की माने तो इसने जून और जुलाई 2015 बैच की दवाईयां वापस मंगवाली है। इसके अलावा दो और बैच भी है जो टेस्ट में फेल हुई हैं। सैंपल टेस्ट में फेल होने की वजह से फ्रेंच फार्मा कंपनी सनोफी ने भारत में कॉम्बिफ्लेम के 4 बैच वापस मंगाने का फैसला किया है।
कॉम्बिफ्लेम की कई खेप भारतीय बाजारों से वापस ली जा रही है क्योंकि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने इन बैचों की दवा को सस्ती क्वालिटी का पाया है। कॉम्बिफ्लेम में पैरासिटामोल और आईबूप्रोफेन का कॉम्बिनेशन है और यह भारत में सनोफी के पांच सबसे बड़े ब्रांडों में से एक है। सीडीएससीओ ने कॉम्बिफ्लेम के जिन बैचों को निम्न क्वालिटी का माना है, वे जून, 2015 और जुलाई, 2015 में तैयार किए गए थे और इन पर मई, 2018 और जून, 2018 की एक्सपायरी डेट अंकित है।
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