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तुलसी विवाह 2024: जानिए तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री की सम्पूर्ण जानकारी

By thesonukumar56

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हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का खास महत्व है। तुलसी विवाह का आयोजन हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर होता है। इसे विशेष रूप से देवउठनी एकादशी के बाद आयोजित किया जाता है। इस दिन तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी से करवाया जाता है, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है। तुलसी विवाह की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे वैवाहिक जीवन में प्रेम व सहयोग बनाए रखने का प्रतीक भी माना जाता है।

कब है तुलसी विवाह 2024?

इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 13 नवंबर 2024 को होगा। पंचांग के अनुसार, द्वादशी तिथि 12 नवंबर को शाम 04:04 बजे से शुरू होगी और 13 नवंबर को दोपहर 01:01 बजे समाप्त होगी। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन गोधूलि वेला में करना उत्तम माना जाता है।

तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहाँ देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास रहता है। तुलसी को मां लक्ष्मी का अवतार माना गया है, और शालिग्राम को भगवान विष्णु का प्रतीक। तुलसी विवाह से जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। जिनके घरों में तुलसी का पौधा होता है और वे तुलसी पूजा करते हैं, उनके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर के सभी सदस्य स्वस्थ एवं खुशहाल रहते हैं।

तुलसी विवाह पूजा विधि

तुलसी विवाह के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। महिलाओं के लिए लाल या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां तुलसी माता का पौधा स्थापित करें। तुलसी के पौधे को सुंदर तरीके से सजाएं, लाल चुनरी ओढ़ाएं, फूलों की माला पहनाएं और तुलसी माता का सोलह शृंगार करें। इसके बाद तुलसी के पौधे के पास भगवान शालिग्राम की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।

गोधूलि वेला में तुलसी माता और शालिग्राम जी का विवाह संपन्न करें। विवाह के समय विवाह मंत्रों का जाप करें और शालिग्राम जी को चंदन लगाएं, पीले वस्त्र पहनाएं, फूलों की माला पहनाएं और उन्हें तुलसी के पत्ते, पंचामृत, फल, धूप, दीप अर्पित करें। तुलसी विवाह की रस्म को पूरा करने के बाद प्रसाद का वितरण करें और सभी परिवारजन इस पावन पर्व का आशीर्वाद प्राप्त करें।

तुलसी विवाह सामग्री

तुलसी विवाह के लिए आवश्यक सामग्री में लकड़ी की चौकी, गेरू, फूल, चंदन, धूपबत्ती, घी का दीपक, सिंदूर, फूलों की माला, लाल चुनरी, श्रृंगार का सामान, गन्ना, कलश, गंगाजल, आम के पत्ते और मिठाई शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त, शालिग्राम जी के लिए भी पीले वस्त्र और फूलों का प्रयोग किया जाता है। घर में तुलसी का पौधा पहले से होना चाहिए, और यदि नहीं है तो इसे विवाह से पहले घर में स्थापित कर लें।

तुलसी विवाह का महत्त्वपूर्ण मुहूर्त

तुलसी विवाह का मुहूर्त गोधूलि वेला में होता है, जो सूर्यास्त के समय का होता है। यह समय देवी तुलसी और भगवान विष्णु के विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस समय भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

तुलसी विवाह के फायदे और धार्मिक मान्यता

तुलसी विवाह से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह के आयोजन से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। तुलसी माता को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, और भगवान विष्णु के साथ तुलसी का विवाह करने से परिवार में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके अतिरिक्त, यह माना जाता है कि तुलसी विवाह से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।

तुलसी विवाह के दिन उपवास रखने से घर के सभी सदस्यों को विशेष आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, तुलसी माता की पूजा से स्वास्थ्य में सुधार होता है और घर में नकारात्मकता दूर होती है। तुलसी का पौधा अपने औषधीय गुणों के कारण भी महत्वपूर्ण है। इसका सेवन करने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई रोगों से बचाव होता है।

तुलसी विवाह में ध्यान देने योग्य बातें

1. तुलसी का पौधा स्वच्छ और हरा-भरा होना चाहिए: तुलसी का पौधा स्वस्थ होना चाहिए ताकि देवी तुलसी प्रसन्न रहें। इसे रोज़ाना पानी दें और इसे नियमित रूप से पूजा स्थल में रखें।

2. तुलसी माता का शृंगार: तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं, और सोलह शृंगार करें। यह माता तुलसी को प्रसन्न करने का तरीका माना जाता है।

3. शालिग्राम की पूजा: शालिग्राम जी को चंदन, पुष्प, और पीले वस्त्र अर्पित करें। उन्हें तुलसी के पत्तों से सजाएं और इस दौरान पूजा मंत्रों का जाप करें।

4. गोधूलि वेला का समय: तुलसी विवाह के लिए गोधूलि वेला का समय सबसे शुभ माना जाता है। इस समय भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह संपन्न करने से परिवार में विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

5. घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार: तुलसी विवाह करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।

तुलसी विवाह और वास्तु

वास्तु के अनुसार, तुलसी का पौधा हमेशा पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। वास्तु के अनुसार तुलसी का पौधा घर में लगाने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है और सकारात्मकता बनी रहती है।

तुलसी विवाह से जुड़े रोचक तथ्य

तुलसी विवाह का आयोजन सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक तथ्यों का भी आधार है। तुलसी का पौधा ऑक्सीजन छोड़ने के लिए प्रसिद्ध है और इसका सेवन कई बीमारियों से राहत दिलाता है। इसके अलावा, तुलसी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी विशेष है।

तुलसी विवाह एक पवित्र और महत्वपूर्ण आयोजन है, जिसे हर हिंदू परिवार में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक मान्यताओं को संजोती है बल्कि परिवार में खुशियों और सौभाग्य का आगमन भी करती है। तुलसी विवाह के दिन परिवार में प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है, और परिवार के सभी सदस्य माँ तुलसी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित हैं। पाठक अपनी मान्यताओं और श्रद्धा के अनुसार इन बातों को अपनाएं और किसी भी अनुष्ठान या पूजन विधि को अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

(यह लेख आपको News Time Pass द्वारा दिया गया है, ताकि आपके जीवन में शुभता और सौभाग्य का आगमन हो।)


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