दिवाली कब है 2024: दिवाली के पांच दिन, जानें क्या हैं इसका महत्व दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे प्रमुख और धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस साल, दिवाली 1 नवंबर 2024 को पड़ रही है। दिवाली का पर्व न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर के अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जहां भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं। इस ब्लॉग में हम दिवाली की तिथि, इसका महत्व, पूजा विधि, और इसे मनाने के खास तरीके के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Highlights
दिवाली 2024 तिथि: 1 नवंबर 2024
दिवाली का महत्व: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
मुख्य पूजन: माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा
समारोह का महत्व: संपन्नता, सौभाग्य, और खुशी की कामना
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली का पर्व हमारे पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है और इसका सीधा संबंध भगवान राम से है। कहा जाता है कि भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप जलाए थे। तभी से दिवाली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही, इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि परिवार में सुख-समृद्धि और सफलता बनी रहे।
दूसरी मान्यता के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थीं और इसलिए दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा का विधान है। दिवाली का पर्व पांच दिनों का होता है, जिसमें हर दिन का अपना एक विशेष महत्व और पूजा-विधि होती है।
दिवाली के पांच दिन
1. धनतेरस: दिवाली का पहला दिन होता है धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। इस दिन लोग नए बर्तन, गहने, और अन्य समृद्धि से जुड़े सामान खरीदते हैं।
2. नरक चतुर्दशी: इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और लोगों को आतंक से मुक्त कराया था।
3. दीपावली: दिवाली का मुख्य दिन होता है जब माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे घर को साफ-सुथरा करके दीपों से सजाया जाता है।
4. गोवर्धन पूजा: इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना की याद में गोवर्धन पूजा की जाती है।
5. भाई दूज: दिवाली का अंतिम दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित होता है, जब बहनें अपने भाइयों के लिए मंगल कामना करती हैं।
दिवाली पूजा विधि
दिवाली की रात को मुख्य पूजा की जाती है। इस दिन सबसे पहले घर की सफाई की जाती है, ताकि माँ लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके। शाम को पूरे घर में दीप जलाए जाते हैं और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों का पूजन होता है।
पूजा में आवश्यक सामग्री
माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति
घी के दीपक
फूल और माला
धूप, अगरबत्ती
सुपारी, हल्दी, कुमकुम
रंगोली बनाने के लिए रंग
दिवाली के दिन का खास महत्त्व
दिवाली के दिन लोग अपने घरों को दीपों, रंगोली और फूलों से सजाते हैं। इस दिन विशेष रूप से मिठाइयाँ बनती हैं, पटाखे छोड़े जाते हैं और परिवार के लोग मिलकर इस पर्व का आनंद लेते हैं। दिवाली का यह पर्व भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी दर्शाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर उन्हें बधाई देते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।
पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने का तरीका
आजकल बढ़ते प्रदूषण के कारण पटाखों का अधिक इस्तेमाल पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए हमें पटाखों के इस्तेमाल को सीमित रखना चाहिए। ग्रीन दिवाली मनाने का प्रयास करें। इसके लिए आप इन उपायों का पालन कर सकते हैं:
पटाखों की जगह केवल दीप जलाकर दिवाली मनाएं।
घर को सजाने के लिए ईको-फ्रेंडली सजावट का उपयोग करें।
अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में योगदान दें।
दिवाली पर खरीदारी
दिवाली के समय खरीदारी का विशेष महत्व होता है। लोग इस दिन बर्तन, कपड़े, गहने, और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी दिवाली सेल का आयोजन होता है। अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी साइट्स पर दिवाली के दौरान विशेष छूट मिलती है।
> कृपया ध्यान दें: ऑनलाइन खरीदारी के लिए Amazon और Flipkart पर जाएं।
दिवाली का पर्व घर-परिवार के साथ मिलकर मनाया जाता है और इसके लिए खरीदारी का भी काफी महत्त्व होता है। एक औसत भारतीय परिवार दिवाली पर सजावट, मिठाई, कपड़े, उपहार और पूजा सामग्री पर ₹5,000 से ₹20,000 तक खर्च कर सकता है। यदि आप घर की सजावट, इलेक्ट्रॉनिक्स और गहने खरीदते हैं, तो यह खर्च और बढ़ सकता है।
दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियाँ बाँटने और एक नये संकल्प के साथ जीवन की शुरुआत करने का पर्व है। दीपों का यह पर्व हमें हमेशा सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस साल 2024 में, दिवाली 1 नवंबर को है और यह दिन हम सभी के लिए खुशियों से भरा हो। आइए, इस दिवाली अपने आसपास के लोगों को खुशियाँ बाँटें और एक स्वच्छ और सुरक्षित दिवाली मनाएं।
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