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गुरु नानक जयंती 2024: गुरु नानक देव जी के जीवन, उपदेश, और पर्व का महत्व

गुरु नानक जयंती सिख समुदाय और अन्य श्रद्धालुओं के लिए विशेष पर्व है। हर साल इसे कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। 2024 में गुरु नानक जयंती 15 नवंबर को मनाई जाएगी। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक थे और उनके जीवन और उपदेशों ने दुनिया को प्रेम, शांति, और समता का मार्ग दिखाया। यह दिन उनके जीवन और शिक्षाओं को स्मरण करने का एक महान अवसर है, जब लोग कीर्तन, प्रार्थना, लंगर और सेवा कार्यों के माध्यम से उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं।

गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को पंजाब के तलवंडी (अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब में) हुआ था। उनका जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था, लेकिन बाल्यकाल से ही उन्होंने धार्मिक विचारों की गहराई में ध्यान देना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता का नाम माता तृप्ता और पिता मेहता कालू था। गुरु नानक देव जी को धार्मिकता में गहरी रुचि थी, और उन्होंने युवावस्था में ही आत्मिकता के पथ पर चलना आरंभ कर दिया।

गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद, और धर्म के नाम पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय यात्राओं में बिताया और विभिन्न स्थानों पर अपने उपदेशों का प्रचार किया। गुरु नानक देव जी के साथी भाई मरदाना उनके साथ होते थे, जिन्होंने उनके विचारों को दूर-दूर तक पहुंचाने में सहयोग दिया। उनकी शिक्षाओं ने सिख धर्म को जन्म दिया और लोगों को सच्चाई, करुणा और समानता का संदेश दिया।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ

गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का सार उनके तीन मुख्य उपदेशों में निहित है: “नाम जपो”, “किरत करो” और “वंड छको”। आइए इन उपदेशों को विस्तार से समझते हैं:

1. नाम जपो:
गुरु नानक देव जी ने हमेशा ईश्वर के नाम का जाप करने और उनके प्रति समर्पित रहने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि भगवान का स्मरण करने से ही मनुष्य के जीवन में शांति आती है और सभी कष्टों का नाश होता है। ईश्वर का नाम जपना और अपनी आत्मा को शुद्ध करना ही जीवन का मुख्य उद्देश्य है।

2. किरत करो:
गुरु नानक देव जी का दूसरा उपदेश है कि ईमानदारी से काम करें। उन्होंने बताया कि हमें किसी भी तरह की चोरी, धोखाधड़ी, या लालच से बचना चाहिए और मेहनत के बल पर ही अपनी आजीविका कमानी चाहिए। यह शिक्षा सिख धर्म के अनुयायियों को स्वावलंबी और मेहनती बनने की प्रेरणा देती है।

3. वंड छको:
गुरु नानक देव जी का तीसरा उपदेश है कि हमें अपने संसाधनों को दूसरों के साथ बांटना चाहिए। सेवा भावना को बढ़ावा देते हुए उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जहां हर कोई बिना किसी भेदभाव के भोजन प्राप्त कर सकता है। यह सिद्धांत आज भी सभी गुरुद्वारों में प्रचलित है, जहां लंगर का आयोजन किया जाता है।

गुरु नानक जयंती का महत्व

गुरु नानक जयंती का महत्व केवल सिख धर्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो शांति, समर्पण, और मानवता के प्रति प्रेम में विश्वास रखते हैं। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को पुनः स्मरण करते हैं और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं। लोग गुरुद्वारों में जाकर अरदास (प्रार्थना) करते हैं, कीर्तन में भाग लेते हैं और लंगर सेवा करते हैं।

गुरु नानक देव जी का संदेश आज के समाज में और भी अधिक प्रासंगिक है, जहां धार्मिक भेदभाव, जातिवाद और आर्थिक असमानता जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें सिखाती हैं कि सच्चाई, प्रेम और सेवा के मार्ग पर चलकर ही समाज में शांति और समरसता लाई जा सकती है।

गुरु नानक जयंती का उत्सव

गुरु नानक जयंती के दिन लोग सुबह-सुबह गुरुद्वारों में जाकर प्रार्थना करते हैं। इस दिन की शुरुआत ‘आसा दी वार’ के पाठ से होती है, जिसमें गुरबाणी का कीर्तन किया जाता है। इसके बाद, गुरुद्वारों में ‘अखंड पाठ’ (गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ) किया जाता है, जो तीन दिनों तक चलता है। लोग श्रद्धा और भक्ति भाव से गुरु नानक देव जी को नमन करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।

गुरु नानक जयंती के दिन एक विशेष शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को एक पवित्र पालकी में रखा जाता है। सिख अनुयायी इस यात्रा में भाग लेते हैं और भजन-कीर्तन गाते हुए आगे बढ़ते हैं। यात्रा के दौरान पंच प्यारे (पाँच प्रिय व्यक्ति) जुलूस का नेतृत्व करते हैं, जो सिख धर्म में समर्पण और निष्ठा का प्रतीक हैं। इस शोभायात्रा में शामिल होने वाले लोग अपनी धार्मिकता का प्रदर्शन करते हैं और गुरु नानक देव जी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।

गुरुद्वारों में इस दिन लंगर का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी लोगों के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था होती है। लंगर में शामिल होने के लिए किसी भी धर्म, जाति, या वर्ग का भेदभाव नहीं किया जाता। यह सेवा भावना का अद्वितीय उदाहरण है और गुरु नानक देव जी के उपदेशों का पालन करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

गुरु नानक देव जी के विचारों का प्रभाव

गुरु नानक देव जी के विचारों का प्रभाव केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य धर्मों के अनुयायियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना है। उनकी शिक्षाओं ने समाज में समानता, करुणा और परोपकार के मूल्य स्थापित किए। उनके उपदेशों में समाज की अनेक समस्याओं का समाधान निहित है, जैसे जाति-प्रथा, स्त्री-पुरुष भेदभाव, और धार्मिक कट्टरता। उन्होंने यह संदेश दिया कि ईश्वर एक है और सभी मनुष्यों में समान रूप से निवास करता है।

आज भी उनकी शिक्षाओं का प्रभाव समाज पर देखा जा सकता है, जहाँ लोग सामाजिक सेवा, समानता, और अहिंसा के पथ पर चलने की प्रेरणा लेते हैं। सिख समुदाय द्वारा आज भी गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों का पालन किया जाता है, जैसे कि ईमानदारी से जीवनयापन करना, सेवा भाव रखना, और दूसरों के प्रति दया और सम्मान का भाव बनाए रखना।

गुरु नानक जयंती केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं का स्मरण करने का एक अवसर है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चे अर्थों में धार्मिकता का पालन करना केवल ईश्वर की भक्ति में नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में है। उनके उपदेश हमें बतलाते हैं कि सच्चाई, करुणा, और समानता ही हमारे जीवन के मूल मूल्य होने चाहिए।

इस दिन हम सभी को गुरु नानक देव जी के उपदेशों को आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। इस प्रकार, गुरु नानक जयंती का उत्सव न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणादायक पर्व है, जो प्रेम, शांति, और सद्भाव का संदेश देता है।

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