भारत और रूस के बीच सैन्य संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं, और हाल ही में एक नई डील ने इस साझेदारी को और भी मजबूत कर दिया है। भारत ने रूस से चार गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर खरीदने के लिए एक महत्वपूर्ण सौदा किया था। इस सौदे का एक बड़ा हिस्सा अब पूरा होने वाला है, और भारत को रूस से एक अत्याधुनिक गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर इस महीने के अंत तक मिल जाएगा। यह सौदा, यूक्रेन युद्ध के चलते कुछ समय के लिए स्थगित हुआ था, लेकिन अब इस युद्धपोत की डिलीवरी भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है।
भारत को मिल रहा है 4000 टन का युद्धपोत
भारत ने रूस से मल्टी रोल फ्रिगेट खरीदने का फैसला किया है। इस युद्धपोत का डिस्प्लेसमेंट 4000 टन है, यानी इसका वजन 4000 टन के करीब होगा। यह युद्धपोत समुद्र में कार्य करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है और इसमें अनेक आधुनिक फीचर्स मौजूद हैं, जो इसे किसी भी आधुनिक युद्ध क्षेत्र में प्रभावी बनाएंगे। यह युद्धपोत, कैलिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड में तैयार किया गया है, और भारत के 200 से अधिक अधिकारियों और नाविकों का एक दल इसे ऑपरेशनल बनाने के लिए ट्रेनिंग ले रहा है। इस फ्रिगेट को बाद में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा और इसे आईएनएस तुशील के नाम से कमीशन किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी दिसंबर की शुरुआत में रूस की यात्रा पर जाएंगे और वहां यह युद्धपोत भारत को सौंपा जाएगा।
क्या है स्टील्थ फीचर?
रूस से खरीदी जा रही यह गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर, स्टील्थ फीचर से लैस है। इसका मतलब यह है कि इसे रडार से पकड़ पाना अत्यंत कठिन होगा। स्टील्थ तकनीक के तहत, यह युद्धपोत हवा और समुद्र में बेहद कम दृश्यता में रहेगा। इसका डिज़ाइन इस प्रकार तैयार किया गया है कि यह रडार सिग्नेचर को कम कर देता है, जिससे दुश्मन के रडार पर यह कम दिखाई देगा। इसके अलावा, यह युद्धपोत रडार और अन्य सेंसर्स के जरिए सटीकता से दुश्मन की गतिविधियों का पता लगा सकता है।
आधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस
भारत को मिलने वाला यह गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस होगा, जो इसे किसी भी प्रकार के समुद्री और हवाई खतरे से निपटने में सक्षम बनाएगा। ब्रह्मोस मिसाइलों को दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है, और यह भारतीय नौसेना की ताकत को और भी बढ़ाएगा। इसके अलावा, इसमें और भी कई अत्याधुनिक हथियार और सेंसर होंगे जो इसे किसी भी युद्ध में एक प्रभावशाली ताकत बना देंगे।
रूस से आने वाले दो युद्धपोत
भारत को रूस से दो स्टील्थ फ्रिगेट मिलेंगे। पहला गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर इस महीने के अंत तक भारत पहुंचने वाला है, जबकि दूसरा फ्रिगेट अगले साल की शुरुआत में भारत को सौंपा जाएगा। इन दोनों युद्धपोतों को रूस ने विशेष रूप से भारतीय नौसेना की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया है। दोनों युद्धपोत स्टील्थ तकनीक से लैस हैं, और इनकी रडार दृश्यता कम होगी, जिससे दुश्मन के लिए इन्हें ट्रैक करना मुश्किल होगा।
सौदे के बारे में और डिलीवरी की जानकारी
भारत और रूस के बीच यह सौदा अक्टूबर 2018 में हुआ था, जब भारत ने रूस से चार ग्रिगोरोविच क्लास के फ्रिगेट खरीदने के लिए एक अम्ब्रेला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इन चार युद्धपोतों में से पहले दो रूस से लगभग 8000 करोड़ रुपए की कीमत पर आयात किए जाएंगे। वहीं, बाकी दो युद्धपोतों का निर्माण भारत के गोवा शिपयार्ड में टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर के तहत किया जा रहा है। इन दो युद्धपोतों का निर्माण लगभग 13000 करोड़ रुपए की कुल लागत से किया जा रहा है। इनमें से पहला युद्धपोत इस साल जुलाई में त्रिपुत के नाम से लॉन्च किया गया था।
भारत की समुद्री शक्ति में एक नया कदम
यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति को और भी मजबूत करेगा। भारत पहले ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है, और इन युद्धपोतों के शामिल होने से भारत की ताकत में और इजाफा होगा। इन फ्रिगेटों के आने से भारतीय नौसेना को न केवल समुद्र में अपनी सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि भारत की समुद्र में युद्ध करने की क्षमता में भी सुधार होगा।
2026 तक लंबी डिलीवरी और S-400 सिस्टम
रूस से आने वाले अन्य महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों में S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम भी शामिल है। हालांकि, इन सिस्टम के बाकी दो स्क्वाड्रनों की डिलीवरी में 2026 तक देरी होने की संभावना है। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी का लीज मिलने में भी 2028 तक देरी हो सकती है।
भारत की रक्षा नीति में बड़ा बदलाव
रूस से खरीदी जा रही यह अत्याधुनिक गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर भारत की रक्षा नीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाती है। भारत अब अपनी समुद्री सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। यह सौदा न केवल भारत और रूस के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि भारत को अपनी सैन्य क्षमता में भी सुधार करने का अवसर मिलेगा।
रूस से खरीदी जा रही गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह युद्धपोत भारत की समुद्री ताकत को और भी बढ़ाएगा और उसे भविष्य में किसी भी समुद्री खतरे से निपटने के लिए तैयार करेगा। यह सौदा भारत और रूस के बीच मजबूत सैन्य रिश्तों का प्रतीक है, और आने वाले समय में भारत की रक्षा नीति में और भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
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