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time of sunset today: छठ पूजा का महत्व और आज के सूर्यास्त का समय

By thesonukumar56

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time of sunset today: छठ पूजा का महत्व और आज के सूर्यास्त का समय , छठ पूजा भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अद्वितीय पर्व है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मइया की आराधना का पर्व है, जिसमें श्रद्धालु उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। छठ पूजा मुख्यतः सूर्य और उनकी शक्तिशाली ऊर्जा के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है, जो हमारी पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखता है। इस पर्व में न केवल धार्मिक भावनाएँ होती हैं, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क भी निहित है, जो हमें स्वस्थ जीवन की दिशा में प्रेरित करता है।

आज छठ पूजा के विशेष दिन पर हम सूर्यास्त के समय का महत्व समझेंगे और जानेंगे कि आज सूर्यास्त का समय क्या है।

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छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है। यह पर्व विशेष रूप से स्वच्छता, स्वास्थ्य और अनुशासन पर जोर देता है। छठ पूजा के दौरान श्रद्धालु नदियों या तालाबों के किनारे एकत्र होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जिससे सूर्य की किरणें सीधे शरीर पर पड़ती हैं और इससे शरीर में विटामिन डी की मात्रा बढ़ती है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें श्रद्धालु कठोर व्रत का पालन करते हैं, जिसमें बिना पानी के उपवास और कड़े अनुशासन का पालन किया जाता है।

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इस पर्व के दौरान महिलाएँ शुद्धता का पालन करती हैं और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाती हैं, जो विशेष रूप से गेहूं, चावल, गुड़, और ताजे फल से बनाए जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और स्वास्थ्य को बनाए रखता है। इसके साथ ही यह पर्व हमें प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझने का संदेश भी देता है।

छठ पूजा की शुरुआत

छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि से होती है और सप्तमी तिथि तक चलती है। इसका मुख्य दिन षष्ठी तिथि को होता है, जब श्रद्धालु उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस वर्ष छठ पूजा का मुख्य दिन 18 अक्टूबर को मनाया जा रहा है, और इसी दिन श्रद्धालु नदी या तालाब के किनारे एकत्रित होकर सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य देंगे।

सूर्यास्त का महत्व छठ पूजा में

छठ पूजा में सूर्यास्त का विशेष महत्व है। सूर्यास्त के समय सूर्य देवता की ऊर्जा सबसे सशक्त होती है और उनके किरणों में ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुँचाते हैं। छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त के समय अर्घ्य देना इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि सूर्य की किरणें इस समय पर विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने से हमारे शरीर की ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

आज का सूर्यास्त समय

आज के दिन सूर्यास्त का समय महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसी समय श्रद्धालु नदी या तालाब के किनारे एकत्रित होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। इस वर्ष छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का समय 05:45 PM के आस-पास निर्धारित किया गया है। ध्यान दें कि यह समय स्थान के अनुसार थोड़ा-बहुत अलग हो सकता है, इसलिए स्थानीय समय की जानकारी के अनुसार अर्घ्य अर्पण करना आवश्यक है।

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छठ पूजा की परंपराएँ और विधि

छठ पूजा के दौरान चार दिनों तक अलग-अलग परंपराएँ निभाई जाती हैं, जो इस प्रकार हैं:

1. नहाय खाय: छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय के रूप में जाना जाता है। इस दिन श्रद्धालु गंगा नदी या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करके शुद्ध होते हैं और दिनभर सात्विक आहार ग्रहण करते हैं। इस दिन घर में शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

2. खरना: छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन व्रतधारी निर्जल व्रत रखते हैं और शाम को पूजा के बाद गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद बनाकर सूर्य देवता को अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रतधारी प्रसाद ग्रहण करते हैं और अगले दिन के लिए तैयार होते हैं।

3. संध्या अर्घ्य: छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रतधारी सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। संध्या अर्घ्य के लिए विशेष रूप से बांस की टोकरियों में फलों, ठेकुआ, और अन्य प्रसादों को सजाया जाता है। इसके बाद सभी मिलकर सूर्य देवता की आराधना करते हैं।

4. उषा अर्घ्य और पारण: छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन उषा अर्घ्य का होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रतधारी अपने व्रत का पारण करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं।

छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

छठ पूजा के पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य भी छुपे हुए हैं। सूर्य की किरणें हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं और छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अर्घ्य देने से शरीर को विटामिन डी मिलता है। सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और मानसिक तनाव भी कम होता है। इसके अलावा छठ पूजा के दौरान जो प्रसाद बनाया जाता है, वह पूरी तरह से पौष्टिक और प्राकृतिक होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

छठ पूजा के दौरान सुरक्षा के उपाय

छठ पूजा के दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं, इसलिए कुछ सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है। नदी या तालाब के किनारे अर्घ्य देने के दौरान ध्यान रखें कि भीड़ से दूर रहें और सामाजिक दूरी का पालन करें। छोटे बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें और उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखें। यदि आप दीपक या अगरबत्ती जला रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वे किसी सूखी जगह पर हों और बच्चों की पहुँच से दूर हों।

छठ पूजा का समापन

छठ पूजा का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होता है। उषा अर्घ्य के बाद व्रतधारी अपने व्रत का पारण करते हैं और इस प्रकार यह चार दिनों का पर्व समाप्त होता है। छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह हमें स्वास्थ्य, अनुशासन, और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की भी प्रेरणा देता है। यह पर्व हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है और हमें स्वच्छता, अनुशासन, और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करता है।

अधिक जानकारी के लिए

यदि आप छठ पूजा के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट News Time Pass पर जाकर इसके बारे में विस्तृत लेख पढ़ सकते हैं। यहां पर आपको छठ पूजा, त्योहारों और अन्य धार्मिक आयोजनों के बारे में जानकारी मिलेगी।

छठ पूजा एक पवित्र और अनुकरणीय पर्व है जो हमारे जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और आस्था का संचार करता है। आज के दिन हम सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ


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