
ट्राई ने यह सुझाव पब्लिक डेटा ऑफिस (पीडीओ) के लिए इस्तेमाल होने वाले वाई-फाई कनेक्शन के लिए दिया है। ट्राई ने अपने प्रस्ताव में उन ऑफिसों को शामिल किया है जो पब्लिक वाई-फाई सर्विस देते हैं। सरकार का यह फैसला फिक्स्ड वाई-फाई स्पॉट की संख्या बढ़ाने के लिए है, जो तय लक्ष्य से काफी कम है।
40 से 80 गुना महंगा
टेलीकॉम रेगुलेटर का मानना है कि पब्लिक डेटा ऑफिस के लिए इस्तेमाल होने वाले वाई-फाई ब्रॉडबैंड की कीमत काफी ज्यादा है, जिसकी वजह से कई यूजर्स को नुकसान हो रहा है। ट्राई ने अपने टैरिफ ऑर्डर नोट में पाया कि लीज लाइन टैरिफ (एलएलटी) फाइबर-टू-द-होम (एफएफटीएच) की तुलना में 40 से 80 गुना ज्यादा महंगा है, जिसकी वजह से यूजर्स इसका काफी कम इस्तेमाल कर रहे हैं। ट्राई ने अपने प्रस्ताव में डेटा इस्तेमाल में कमी का हवाला देते हुए कहा कि पीएम-वाणी सेंट्रल रजिस्ट्री के मुताबिक रोजाना औसत डेटा इस्तेमाल में काफी गिरावट आई है। पिछले साल तक रोजाना औसतन 1 जीबी डेटा इस्तेमाल होता था, जो अब घटकर कुछ एमबी रह गया है, जो मासिक औसत डेटा सीमा से काफी कम है।
कीमत कम करने की सलाह
ट्राई ने रिटेल ब्रॉडबैंड कनेक्शन में कमी का हवाला देते हुए इसकी कीमत कम करने की सलाह दी है। अगर सर्विस प्रोवाइडर ट्राई के इस सुझाव को मान लेते हैं तो पब्लिक वाई-फाई इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को इसका फायदा होगा और डेटा इस्तेमाल बढ़ेगा। कनेक्शन सस्ता होने की वजह से इसका असर कुल डेटा इस्तेमाल पर पड़ेगा।
टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के फाइबर-टू-द-होम कनेक्शन वाले यूजर 700 रुपये मासिक खर्च करके 100Mbps की स्पीड से डेटा पा रहे हैं। लीज्ड लाइन पब्लिक वाई-फाई के 100Mbps की स्पीड वाले प्लान के लिए यूजर्स को FTTH से कई गुना ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इसकी वजह से लीज्ड लाइन ब्रॉडबैंड यूजर्स की संख्या भी धीरे-धीरे कम हो रही है।